News Saga Desk
रायपुर। छत्तीसगढ़ में बढ़ती गर्मी के कारण बिजली की खपत और मांग बढ़ गई है। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत विभाग के लोड डिस्पैच सिस्टम द्वारा पीक टाइम में से रियल टाइम डिमांड के जारी आंकड़े के अनुसार इस वर्ष अप्रैल माह में ही प्रदेश में बिजली की जरूरत रिकॉर्ड 6800 मेगावॉट के पार पहुंच गई है। छत्तीसगढ़ बिजली वितरण कंपनी के एमडी भीम सिंह कंवर ने कहा की प्रदेश में बिजली की खपत अप्रैल में अधिकतम 6800 मेगावॉट तक पहुंची है। पिछले वर्ष इसी समय बिजली की खपत 6300 मेगावॉट के आस पास बनी हुई थी।
बिद्युत विभाग के अधिकारियों एवं बिद्युत नियामक बोर्ड के पूर्व सचिव रह चुके सेवा निवृत मुख्य अभियंता पी एन सिंह के अनुसार प्रदेश में औद्योगीकरण के साथ-साथ रबी फसल में धान की बोआई कारण बिजली की मांग बढ़ते जा रही है। छत्तीसगढ़ के जिलों में किसानों ने गर्मी में धान की फसल लगाई है. किसान बिजली के पंप से सिंचाई कर रहे हैं,इसका असर भी बिजली की मांग पर पड़ा है।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण का अनुमान है कि वर्ष 2026-27 तक राज्य सरकार को अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए रोजाना 7661 मेगावॉट बिजली की जरूरत होगी। वर्ष 2016-17 में छत्तीसगढ़ को अपनी बिजली जरूरतों को पूरा करने के लिए 3875 मेगावॉट बिजली की आवश्यकता पड़ती थी। जो पांच साल बाद 2021-22 तक बढ़कर 5019 मेगावॉट हो गई। पांच वर्षों में बिजली की खपत में 1144 मेगावॉट की बढ़ोतरी हुई है। वितरण कंपनी ने आपूर्ति बनाए रखने के लिए कंपनियों से जो अनुबंध किया है उसके तहत बिजली मिल रही है और इसकी आपूर्ति प्रदेश में की जा रही है।राज्य में बिजली वितरण का काम “छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड” करती है। इसके अलावा, ऊर्जा उत्पादन के लिए जिंदल पावर, सारडा एनर्जी, एनटीपीसी और अडानी पावर जैसी कंपनियां भी काम कर रही हैं।
उल्लेखनीय हो कि मार्च माह में रायपुर में हुए ‘छत्तीसगढ़ एनर्जी इंवेस्टर्स समिट’ में कई बड़ी कंपनियों ने 3 लाख करोड़ से ज्यादा के निवेश का ऐलान किया है। इस निवेश से राज्य में परमाणु, थर्मल, सौर और पंप्ड स्टोरेज जैसे क्षेत्रों में बिजली उत्पादन के नए प्रोजेक्ट शुरू होंगे। इससे न केवल उद्योगों को फायदा मिलेगा, बल्कि आम लोगों को भी सस्ती और निरंतर बिजली मिल सकेगी।
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