News Saga Desk
रांची। बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन सरकार पर जानबूझकर भाषा विवाद खड़ा करने का आरोप लगाया है। बाबूलाल मरांडी ने दावा किया कि प्रतियोगिता परीक्षाओं में जानबूझकर ऐसी शर्तें जोड़ी जा रही हैं ताकि नियुक्तियों को कोर्ट-कचहरी में उलझाया जा सके।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जेटेट परीक्षा को लेकर हेमंत सरकार की दोहरी नीति उजागर हो गई है। बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया कि पहले जानबूझकर जेटेट परीक्षा में भाषा विवाद खड़ा किया गया और अब विज्ञापन ही रद्द कर दिया गया है। ये युवाओं को गुमराह करके उनको सरकारी नौकरी से वंचित करने की चाल है। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि गढ़वा, पलामू और खूंटी जैसे जिलों में सांस्कृतिक और भाषाई विविधता को नजरअंदाज करना भूल नहीं बल्कि सोची-समझी साजिश थी ताकि परीक्षा को उलझाया जा सके।
परीक्षाओं को कोर्ट-कचहरी में फंसाया गया
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हेमंत सरकार जानबूझकर विज्ञापनों में ऐसी शर्तें जोड़ रही है जिससे बेवजह का विवाद खड़ा किया जा सके। परीक्षाओं को कोर्ट-कचहरी के चक्कर में फंसाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जेटेट परीक्षा को लेकर हेमंत सरकार की दोहरी नीति फिर उजागर हुई है।
बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार को युवा विरोधी करार देते हुए कहा कि भाषा विवाद को लेकर जब भारी विरोध हुआ तो विज्ञापन ही रद्द किया गया। ऐसा केवल युवाओं को गुमराह करने और उनको नौकरी से वंचित करने के लिए किया गया है। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि युवाओं का जो समय नष्ट हुआ उसकी भरपाई कौन करेगा।
पलामू, गढ़वा और खूंटी में हुआ था विवाद
गौरतलब है कि जेटेट की परीक्षा में गढ़वा और पलामू जिलों में कुड़ुख और नागपुरी भाषा को स्थानीय भाषा की सूची में शामिल किया गया था जबकि वहाँ बड़ी आबादी भोजपुरी और मगही को स्थानीय भाषा के रूप में इस्तेमाल करती है।
उसी प्रकार खूंटी जिले में मुंडारी भाषा को शामिल नहीं किया गया जबकि वहाँ मुंडा जनजाति की जनसंख्या सर्वाधिक है। इसे लेकर तीखा विरोध हुआ था। वित्तमंत्री राधाकृष्ण किशोर ने ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर इसमें संशोधन की मांग की थी।
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