News Saga Desk
तेहरान/तेल अवीव। इजराइल ने शुक्रवार सुबह ईरान के एटमी और दूसरे सैन्य ठिकानों पर बड़ा हमला किया है। इसमें ईरान के 2 बड़े सैन्य अधिकारी और 2 परमाणु वैज्ञानिक मारे गए हैं। एक सीनियर ईरानी अधिकारी ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि राजधानी तेहरान में शाहरक शाहिद महालती नामक जगह पर हमला हुआ। यहां पर हाई रैंक वाले ईरानी सैन्य अफसर रहते हैं। हमले में 3 इमारतें तबाह हो गई हैं।
एक इजराइली सैन्य अधिकारी ने दावा किया कि ईरान गुपचुप तरीके से परमाणु हथियार बना रहा है और उसके पास कुछ ही दिनों में 15 परमाणु बम बनाने लायक सामग्री है। इसे रोकने के लिए यह हमला किया गया।
उन 6 जगहों के बारे में जानिए जहां हमला हुआ
1. नतांज- ईरान का मेन परमाणु फैसिलिटी सेंटर
यह तेहरान से लगभग 250 किलोमीटर दक्षिण में है। नतांज 2002 में सैटेलाइट तस्वीरों से पहली बार सामने आई थी। अनुमान है कि नतांज में ईरान के पास लगभग 9 परमाणु बम बनाने जितना यूरेनियम उपलब्ध है।
IAEA रिपोर्ट- साइट को भूमिगत 7.6 मीटर मोटी दीवार से ढका गया था, लेकिन फिर भी हमले में मुख्य ट्रांसफॉर्मर को नुकसान हुआ।
नतांज में 2 बड़े प्लांट हैं
अंडरग्राउंड फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट (FEP): यह जमीन के नीचे बंकरों में बनाया गया है, जो इसे हवाई हमलों से बचाने के लिए डिजाइन किया गया है। पायलट फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट (PFEP): यह छोटा प्लांट है। इसे मजबूत बंकरों और कई मीटर गहरी चट्टान व कंक्रीट के नीचे बनाया गया है, जिससे इसे निशाना बनाना मुश्किल है।
हमला क्यों हुआ- यहां एडवांस सेंट्रीफ्यूज लगे हैं। इस मशीन की मदद से यूरेनियम-235 की सफाई होती है जिसका इस्तेमाल हथियार बनाने में किया जाता है। IAEA की हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान 60% संवर्धन तक पहुंच चुका है, जो हथियार-ग्रेड यूरेनियम के करीब है। इजराइली पीएम नेतन्याहू ने इसे ‘ईरान का सबसे बड़ा परमाणु खतरा’ बता चुके हैं।

नतांज न्यूक्लियर फैसिलिटी साइट्स की सैटेलाइट इमेज।
2. तेहरान- ईरान की राजधानी, कई अहम मिलिट्री ठिकाने
हमला क्यों हुआ- इजराइल ने नेतृत्व पर सीधा हमला कर यह जताया कि वो ईरान के सबसे सुरक्षित केंद्रों तक पहुंच सकता है।
तेहरान ईरान की राजधानी है। यहां पर संसद के अलावा सरकार के सभी अहम ऑफिस है। ईरान के सुप्रीम लीडर का अयातुल्ला खामेनेई भी यही रहते हैं। इसके अलावा तेहरान में कई अहम मिलिट्री ठिकाने और एयरपोर्ट्स हैं। तेहरान के आसपास इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के कई ट्रेनिंग सेंटर और हथियार डिपो हैं। IRGC कमांडर हुसैन सलामी, सेनाध्यक्ष मोहम्मद बघेरी और सभी परमाण वैज्ञानिकों की मौत तेहरान पर हुए हमले में ही हुई है।
हमला क्यों हुआ- इजराइल ने नेतृत्व पर सीधा हमला कर यह जताया कि वो ईरान के सबसे सुरक्षित केंद्रों तक पहुंच सकता है।
3. इस्फहान- परमाणु टेक्नोलॉजी सेंटर
इस शहर में यूरेनियम कन्वर्जन फैसिलिटी है, जहां कच्चे यूरेनियम को गैस में बदला जाता है। यहां न्यूक्लियर फैसिलिटी की शुरुआत साल 1999 में हुई। इस शहर में ईरान का एक बड़ा एयरबेस भी है, यहां पुराने अमेरिकी F-14 टॉमकैट फाइटर जेट रखे गए हैं, जो ईरान ने 1979 की क्रांति से पहले खरीदे थे। माना जा रहा है कि इस बार के हमले में एयरबेस पर स्थित एक रडार केंद्र को निशाना बनाया गया था। इस्फहान में हथियार बनाने वाली फैक्ट्रियां भी हैं, जिनमें से एक पर पिछले साल भी इजराइल ने हमला किया था। इस बार 3 ड्रोन से यहां हमला हुआ। ईरानी अधिकारियों ने कहा कि दो ड्रोन मार गिराए गए और एक ने फैक्ट्री की छत को थोड़ा नुकसान पहुंचाया।
हमला क्यों हुआ- ईरान की वायुसेना और रक्षा सिस्टम को कमजोर करना और हिजबुल्लाह जैसे संगठनों को हथियार मिलने से रोकना।

इस्फहान में यूरेनियम कन्वर्जन फैसिलिटी है। यह जगह तेहरान से 410 किमी दूर है।
4. अराक- हैवी वाटर रिएक्टर
अराक में हैवी वाटर रिएक्टर है। इससे प्लूटोनियम बन सकता है। यह परमाणु हथियार बनाने का एक और तरीका है। जिसे आधिकारिक तौर पर IR-40 रिएक्टर के रूप में जाना जाता है। यह ईरान के परमाणु कार्यक्रम का हिस्सा है और इसे मुख्य रूप से अनुसंधान और रेडियो आइसोटोप उत्पादन के लिए डिजाइन किया गया था। अराक रिएक्टर ईरान के परमाणु कार्यक्रम के सबसे विवादास्पद हिस्सों में से एक रहा है। पश्चिमी देशों, विशेष रूप से अमेरिका और इजराइल, ने चिंता जताई थी कि इस रिएक्टर का उपयोग हथियार-ग्रेड प्लूटोनियम के उत्पादन के लिए हो सकता है।
हमला क्यों हुआ- ईरान के एटमी प्रोग्राम के दूसरे रास्ते को भी रोकना।

अराक में हैवी वाटर रिएक्टर है। यह तेहरान से लगभग 280 किमी दूर है।
5. तबरीज- मिलिट्री बेस और एक बड़ा तेल रिफाइनरी
तबरीज ईरान के अजरबैजान प्रांत की राजधानी है। यहां कोई परमाणु ठिकाना नहीं है। यह तुर्की और आर्मेनिया की सीमा के करीब है। यहां कई मिलिट्री वेयरहाउस, मिसाइल प्रोडक्शन यूनिट और IRGC से जुड़े ठिकाने हैं, जो बैलिस्टिक मिसाइलों और ड्रोनों का उत्पादन करते हैं। इजराइल ने 2023 में भी यहां पर एक ड्रोन फैक्ट्री पर हमला किया था। तबरीज में तेल रिफाइनरी भी है। यहां हमला करने का मकसद ईरान के तेल क्षमता को कमजोर करना है।
हमला क्यों हुआ- सैन्य और आर्थिक ढांचे को कमजोर करना।
6. करमनशाह- यूरेनियम कन्वर्जन फैसिलिटी
ईरान के मिसाइल बेस और औद्योगिक कॉम्प्लेक्स इराक सीमा के पास हैं।
हमला क्यों हुआ- अक्टूबर 2024 के ईरानी मिसाइल हमलों के बाद, करमनशाह से संभावित जवाबी हमलों को रोकना।
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