News Saga Desk
पटना। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आयोग राज्य में चुपचाप नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) जैसी प्रक्रिया को लागू कर रहा है। ओवैसी ने चेतावनी दी है कि इससे बड़ी संख्या में लोगों के वोटिंग अधिकार छिन सकते हैं और इससे जनता का चुनाव आयोग पर भरोसा डगमगाएगा।
इस तरह हो रहा है खेल
ओवैसी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि आयोग अब हर नागरिक से यह सबूत मांग रहा है कि वह कब और कहां पैदा हुआ, और उसके माता-पिता की जन्मतिथि व जन्मस्थान क्या है। उन्होंने लिखा, “एक अनुमान के मुताबिक देश में महज तीन चौथाई लोगों के ही जन्म पंजीकृत हैं। सरकारी कागजों में गलतियों की भरमार है। सीमांचल जैसे बाढ़-पीड़ित और गरीब इलाकों में लोग दो वक्त की रोटी के लिए जूझते हैं, उनसे दस्तावेज की उम्मीद करना क्रूर मजाक है।”
‘वोटर लिस्ट से नाम काटने की तैयारी?’
ओवैसी ने सवाल उठाया कि जब चुनाव नजदीक हैं, तो क्या यह कवायद मतदाता सूची से नाम हटाने के लिए की जा रही है? उन्होंने आगाह किया कि इस प्रक्रिया के जरिए हजारों लोगों को मतदान से वंचित किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट पहले ही 1995 में ऐसी मनमानी के खिलाफ टिप्पणी कर चुका है।
ओवैसी के मुताबिक-
- जिनकी जन्मतिथि जुलाई 1987 से पहले की है, उन्हें जन्मस्थान व जन्मतिथि साबित करने वाला एक दस्तावेज देना होगा।
- 1987 से 2004 के बीच जन्मे लोगों को खुद का जन्म प्रमाण और माता-पिता में से किसी एक का जन्मस्थान व तारीख वाला दस्तावेज देना पड़ेगा।
- अगर माता या पिता में से कोई भारतीय नागरिक नहीं है तो पासपोर्ट और वीजा दिखाना अनिवार्य किया गया है। उन्होंने पूछा कि चुनाव से ठीक पहले इतनी जटिल प्रक्रिया को एक महीने में कैसे निष्पक्ष रूप से अंजाम दिया जा सकता है, खासकर जब आबादी इतनी बड़ी है। ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट के लाल बाबू हुसैन बनाम चुनाव आयोग वाले फैसले का हवाला देते हुए कहा कि “जो व्यक्ति पहले से वोटर लिस्ट में है, उसे उचित प्रक्रिया के बिना हटाया नहीं जा सकता।”
ओवैसी की इस आपत्ति ने चुनाव आयोग की तैयारी और मंशा पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
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