मॉस्को। आधुनिक मल्टी-रोल स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट ‘INS तुशिल’ को सोमवार को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। न्यूज एजेंसी के मुताबिक यह युद्धपोत रूस के तटीय शहर कैलिनिनग्राद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, एडमिरल दिनेश त्रिपाठी की मौजूदगी में भारत को डिलीवर किया गया।
INS तुशिल कई उन्नत हथियारों से लैस है। इनमें ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, सतह से हवा में मार करने वाली हाई रेंज मिसाइल और एंटी एयर क्राफ्ट गन शामिल हैं। इसके अलावा इस युद्धपोत में कंट्रोल्ड क्लोज-रेंज रैपिड फायर गन सिस्टम, सबमरीन का खात्मा करने वाले टॉरपीडो समेत कई एडवांस रॉकेट भी हैं। युद्धपोत का डिजाइन इसे रडार से बचने की क्षमता और बेहतर स्थिरता प्रदान करता है।
भारत और रूस के बीच 2016 में 4 स्टील्थ फ्रिगेट को लेकर 2.5 बिलियन डॉलर (करीब 21 हजार करोड़ रुपए) की डील हुई थी। इसमें से 2 युद्धपोत का निर्माण रूस (यंतर शिपयार्ड) में और 2 का निर्माण (गोवा शिपयार्ड) में होना है। तुशिल की डिलीवरी करने के बाद रूस भारत को जून-जुलाई 2025 में तमाल सौंपेगा।
रक्षा मंत्री ने कहा कि INS तुशिल से भारत की समुद्री ताकत में इजाफा होगा। उन्होंने इसे रूसी और भारतीय उद्योगों की सफल साझेदारी और दोनों देशों की बीच लंबे समय से चली आ रही दोस्ती में मील का पत्थर बताया। रक्षा मंत्री ने जहाजों में ‘मेड इन इंडिया’ कंटेंट बढ़ने पर भी खुशी जताई।
विदेशी जहाजों में ‘मेड इन इंडिया’ सामग्री में इजाफा भारतीय नौसेना के विशेषज्ञ इंजीनियरों और रूसी शिप डिजाइन कंपनी सेवरनॉय डिजाइन ब्यूरो के मदद से, INS तुशिल में स्वदेशी सामग्री को 26 प्रतिशत तक बढ़ाया गया है। इससे विदेशी जहाजों में भारत निर्मित सिस्टम्स की संख्या बढ़कर 33 हो गई है, जो पहले की तुलना में दोगुनी से अधिक है।
इस जहाज के निर्माण में प्रमुख भारतीय कंपनियां ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, केलट्रॉन, नोवा इंटीग्रेटेड सिस्टम, एल्कॉम मरीन, जॉनसन कंट्रोल्स इंडिया और कई दूसरी ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर के रूप में शामिल थीं।
गौरतलब है कि भारत में नौसेना में इस्तेमाल होने वाले अधिकतर पोतों में लगी गैस टर्बाइन का उत्पादन यूक्रेन की कंपनी जोरया-माशप्रोएक्त करती है। इसे वैश्विक स्तर पर जलीय गैस टर्बाइन के उत्पादन के लिए जाना जाता है। इस पूरे ऑर्डर की सबसे बड़ी बात यह है कि युद्ध के बावजूद रूस और यूक्रेन की मदद से भारत को यह पोत मिल गया है।
INS तुशिल पर 18 अधिकारियों समेत 180 कर्मियों का दल तैनात हो सकता है। जहाज पर 8 ब्रह्मोस वर्टिकल लॉन्च की जाने वाली एंटी-शिप क्रूज मिसाइलें, 24 मध्यम दूरी की और 8 छोटी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, एक 100 मिमी की तोप और आने वाली मिसाइलों से बचाव के लिए दो क्लोज-इन हथियार होंगे।
तुशिल क्रोवाक-3 कैटगिरी का युद्धपोत है। भारत में फिलहाल 6 ऐसे युद्धपोत सेवा में हैं।
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