किसानों की बुलंद आवाज़ थे चौधरी चरण सिंह
देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह व्यक्ति नहीं विचारधारा थे। चौधरी चरण सिंह ने हमेशा यह साबित करने की कोशिश की थी कि किसानों को खुशहाल किए बिना देश का विकास नहीं हो सकता। उनकी नीति किसानों व गरीबों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने की थी। वे कहते थे कि देश की समृद्धि का रास्ता गांवों के खेतों और खलिहानों से होकर गुजरता है। उनका कहना था कि भ्रष्टाचार की कोई सीमा नहीं है। जिस देश के लोग भ्रष्ट होंगे वो देश कभी तरक्की नहीं कर सकता।
श्रीनिवास रामानुजन : संख्याओं के जादूगर
प्रतिवर्ष 22 दिसम्बर को भारत में ‘राष्ट्रीय गणित दिवस’ मनाया जाता है, जो देश के महान् गणितज्ञों में से एक श्रीनिवास रामानुजन की स्मृति में उनके जन्मदिवस पर मनाया जाता है। करीब एक दशक पहले चेन्नई में रामानुजन की 125वीं जयंती समारोह में गणित में उनके अविस्मरणीय योगदान को याद कर उन्हें सम्मान देने के लिए प्रतिवर्ष 22 दिसम्बर को ‘राष्ट्रीय गणित दिवस’ मनाए जाने का निर्णय लिया गया था।
महाकुंभ का आध्यात्मिक, वैज्ञानिक व आर्थिक महत्व
आधुनिकता की उन्मत्त गति की विशेषता वाली दुनिया में, कुछ ही आयोजन ऐसे होते हैं जो लाखों लोगों को अपने से बड़े उद्देश्य की खोज में एकजुट करने की क्षमतारखते हैं। महाकुंभ मेला, 12 वर्षों की अवधि में चार बार होने वाला एक श्रद्धेय मेला, इस उद्देश का उदाहरण है।कुंभ मेला, दुनिया भर में सबसे बड़ा शांतिपूर्ण सम्मेलन है, जिसमें लाखों तीर्थयात्री आते हैं जो अपने पापों को शुद्ध करने और आध्यात्मिक मुक्ति प्राप्त करने के लिए पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हैं।
आधुनिक जीवन में ध्यान की प्रासंगिकता
ध्यान किसी तरह का धार्मिक उपक्रम नहीं है। यह बाहर से हट कर अंदर के अनुभवों को सम्बोधित करने वाला वैचारिक (रिफलेक्टिव) प्रयास है। एकाग्रता तथा अवगत या सचेत होना ही इसका मुख्य आधार है जो वर्तमान में बने रहने और मन की शांति को रेखांकित करता है। दरअसल आँख, कान, नाक, त्वचा आदि हमारे सभी संग्राहक बाहर की दुनिया से लगातार उद्दीपक लाते रहते हैं और उस सारी सामग्री की हमारे मन को व्याख्या करनी पड़ती है।
उस्ताद जाकिर हुसैन : थम गई तबले की थाप
संगीत संसार में तबले को एक नया आयाम देने और अपनी कला से भारत को विश्वपटल पर पहचान दिलाने वाले तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन अब इस संसार में नहीं रहें। उनकी अद्वितीय प्रतिभा और साधना ने तबले को एक नई पहचान दिलाई। जाकिर हुसैन ने तबला वादन की कला अपने पिता और गुरु उस्ताद अल्ला रक्खा से सीखी। अल्ला रक्खा स्वयं भारतीय शास्त्रीय संगीत के महान तबला वादकों में से एक थे। जाकिर ने इस विरासत को आगे बढ़ाते हुए इसे वैश्विक मंच तक पहुंचाया। जाकिर हुसैन का संगीत तकनीकी दक्षता का एक उत्कृष्ट प्रदर्शन था।
पूरा दिन बिजी रहने के चलते नहीं बिता पाते बच्चों संग समय तो ये उपाय आज़माएं और संजोएं यादों का पिटारा
आज की व्यस्त दिनचर्या में, माता-पिता अक्सर ऑफिस की ज़िम्मेदारियों के कारण बच्चों के साथ पर्याप्त समय नहीं बिता पाते। हालांकि, बच्चों के साथ हर दिन कुछ समय बिताना उनके भावनात्मक, मानसिक और सामाजिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है, भले ही यह समय केवल एक घंटा ही क्यों न हो। इतना समय भी बच्चों के विकास
जलवायु परिवर्तन और भारत का दृष्टिकोण
जलवायु परिवर्तन के प्रति भारत का सह-लाभ दृष्टिकोण विकास लक्ष्यों को पर्यावरणीय उद्देश्यों के साथ संरेखित करने का प्रयास करता है। साथ ही जलवायु चुनौतियों का समाधान करते हुए सतत विकास पर ध्यान केंद्रित करता है। आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय लाभों को एकीकृत करके, इस रणनीति का उद्देश्य उत्सर्जन को कम करना और लचीलापन बढ़ाना है।
भारत का धर्म-दर्शन और विज्ञान का मधुफल
सम्पूर्ण प्रकृति से आत्मीय व्यवहार श्रेष्ठ है। प्रकृति की शक्तियां सुनिश्चित नियमों में गतिशील हैं। वैदिक पूर्वजों ने इस नियम को ऋत कहा है। प्रकृति की तरह मनुष्य को भी नियमों के अनुसार चलना चाहिए। प्रकृति और मनुष्य तथा मनुष्य और सभी मनुष्यों के मध्य आचार संहिता का नाम धर्म है। ईश्वर आस्था निजी विश्वास है।
ऊर्जा संरक्षण के प्रति जागरूकता जरूरी
ऊर्जा मंत्रालय के अधीनस्थ ऊर्जा दक्षता ब्यूरो द्वारा ऊर्जा दक्षता तथा संरक्षण में भारत की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिए प्रतिवर्ष 14 दिसम्बर को ‘राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस’ का आयोजन विशेष थीम के साथ किया जाता है। राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस की इस वर्ष की थीम है ‘स्थायित्व को बढ़ावा देना: हर वाट मायने रखता है।’ ऊर्जा दक्षता ब्यूरो द्वारा वर्ष 2001 में देश में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम लागू किया गया था।
भारतीय स्कूली शिक्षा प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता
कोठारी आयोग ने स्कूली शिक्षा में एकरूपता की नींव रखी और शैक्षिक सुधारों की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। इसने 14 वर्ष की आयु तक मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा की सिफ़ारिश की, जिसने भारत की शिक्षा प्रणाली में भविष्य के सुधारों के लिए मंच तैयार किया। इस नीति ने शिक्षा की गुणवत्ता और पहुँच पर ध्यान केंद्रित किया, जिसका उद्देश्य समानता में सुधार करना और क्षेत्रीय असमानताओं को कम करना था।