News Saga Desk
झारखंड। झारखंड में ऊर्जा विभाग से जुड़े 100 करोड़ रुपये की फर्जी निकासी का मामला सुर्खियों में है। इस घोटाले में एटीएस ने दो संदिग्धों को हिरासत में लिया है और उनसे 1.30 करोड़ रुपये जब्त किए हैं। घोटाले की गहराई में जाने पर कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं, जिससे यह मामला और भी रहस्यमय हो गया है। ऊर्जा विभाग के खातों से बड़े पैमाने पर पैसे की निकासी फर्जी तरीकों से की गई। एटीएस अधिकारियों के मुताबिक, जिन 1.30 करोड़ रुपये को जब्त किया गया है, वह इसी घोटाले का हिस्सा है। 60 लाख रुपये नकद और 70 लाख रुपये बैंक खाते से फ्रीज किए गए हैं।
झारखंड में वित्तीय घोटालों का इतिहास पुराना है। 2000 में राज्य बनने के बाद से कई बड़े घोटाले सामने आए हैं, जिनमें सरकारी विभागों और बैंकों का दुरुपयोग देखा गया। हालांकि, यह घोटाला अपने आप में बड़ा है क्योंकि इसमें सीधे सरकारी खातों का दुरुपयोग हुआ है। रांची के डिबडीह क्षेत्र में 85 लाख रुपये नकद और 15 लाख रुपये के जेवरात जब्त किए गए थे।
हिरासत में लिए गए संदिग्धों से घोटाले के मास्टरमाइंड तक पहुंचने की कोशिश हो रही है। एटीएस अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में पहले से कई आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। इस मामले में अब तक गिरफ्तार किए गए लोगों में जेटीडीसी के तत्कालीन लेखापाल गिरिजा प्रसाद सिंह, केनरा बैंक हटिया के शाखा प्रबंधन अमरजीत कुमार, साजिशकर्ता रुद्र सिंह, और लोकेश्वर साह का नाम शामिल है। यह घोटाला न केवल झारखंड बल्कि देशभर में चर्चा का विषय बन गया है। एटीएस और पुलिस की संयुक्त टीम लगातार सबूत जुटाने और अन्य दोषियों तक पहुंचने में जुटी है। इस कार्रवाई के बाद सरकार ने सरकारी खातों की सुरक्षा के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं रोकी जा सकें।
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