News Saga Desk
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) कानून के दुरुपयोग पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि इसका इस्तेमाल भी दहेज कानून (498A) की तरह गलत तरीके से किया जा रहा है। कोर्ट ने यह टिप्पणी छत्तीसगढ़ के कथित शराब घोटाले में आरोपी पूर्व IAS अधिकारी अरुण पति त्रिपाठी की जमानत के मामले में दी। जस्टिस अभय ओक ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को फटकार लगाते हुए कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग कानून के प्रावधानों का उपयोग किसी आरोपी को हमेशा के लिए जेल में रखने के लिए नहीं किया जा सकता।
अरुण त्रिपाठी को दी गई नियमित जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी अधिकारी अरुण पति त्रिपाठी को नियमित जमानत दी है। उन पर छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप था, लेकिन त्रिपाठी को जेल से रिहा नहीं किया जाएगा, क्योंकि उनके खिलाफ आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दायर एक अन्य मामला चल रहा है।
PMLA का दुरुपयोग गंभीर चिंता का विषय
कोर्ट ने इस मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि PMLA का दुरुपयोग ठीक उसी तरह हो रहा है जैसे दहेज कानून का गलत इस्तेमाल होता है। जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टिन मसीह की पीठ ने कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के प्रावधानों का उपयोग किसी को अनावश्यक रूप से लंबी अवधि तक जेल में रखने के लिए नहीं किया जा सकता।
डी के हलफनामे पर उठाए सवाल
पिछली सुनवाई में, प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने एजेंसी के हलफनामे पर सवाल उठाए थे और कहा था कि एजेंसी में कुछ गड़बड़ है। कोर्ट ने इसे गंभीर मामला बताते हुए ध्यान दिया था।
अरुण त्रिपाठी की गिरफ्तारी
ईडी ने त्रिपाठी को छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के सिलसिले में मई 2023 में गिरफ्तार किया था। त्रिपाठी छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड के एमडी के रूप में भी काम कर चुके हैं।
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