News Saga Desk
नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई को लेकर देशभर में कांग्रेस के प्रदर्शन पर भाजपा लगातार हमलावर है। पार्टी ने बुधवार को कहा कि देश के इतिहास का बहुत विचित्र प्रकार का मामला है नेशनल हेराल्ड केस, जिसमें कोई कंपनी जो 90 करोड़ की देनदारी में बिक गई जिसके पास हजारों करोड़ की प्रॉपर्टी थी। जिसमें खरीदने वाले और बेचने वाले दोनों एक ही हैं। भाजपा प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने पार्टी मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि विचित्र बात है कि यह दावा किया जाता है की नेशनल हेराल्ड को स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान और पंडित नेहरू द्वारा शुरू किया गया। कांग्रेस राज खत्म हो गया तो सवाल उठता है कि कांग्रेस अपने 50 साल के शासनकाल में अपनी विरासत को नहीं बचा पाई। क्या उसका कोई खरीदार नहीं था, क्या कांग्रेस कार्यकर्ता भी अपना अखबार खरीदने को तैयार नहीं थे जबकि राजीव गांधी फाउंडेशन को इस दौर-ए-हुकूमत में बहुत पैसा मिल रहा था। यह अपने आप में कांग्रेस की नीयत पर सवाल खड़ा करता है।उन्होंने कहा कि सरकारी सपोर्ट तो छोड़िए, यदि 10 प्रतिशत कार्यकर्ता भी इन अखबारों को खरीदने की कोशिश करते तो इनके बंद होने की नौबत नहीं आती। पर मजे की बात है कि कौमी आवाज उर्दू का अखबार भी नहीं बिका। इसका मतलब कांग्रेस और कांग्रेस को संचालन करने वाले नेता चाहते थे कि यह अखबार चले। भाजपा प्रवक्ता त्रिवेदी ने पूछा कि कांग्रेस ने कौन सा त्याग, कौन सा समर्पण, कौन सा योगदान किया। ये (नेशनल हेराल्ड केस) शुद्ध बिजनेस ट्रांजेक्शन का मामला है तो वो कैसे कह सकते हैं कि ये ईडी के दायरे से बाहर है या ये किसी राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है। जबकि ये विषय 2012 में उठा, अक्टूबर 2013 में यूपीए सरकार के शासनकाल में एक जनहित याचिका पर दिल्ली हाई कोई के निर्देश पर ये केस शुरू हुआ था।
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