कांग्रेस ने आपातकाल के लिए माफी नहीं मांगी

News Saga Desk

भारतीय लोकतंत्र ने विश्व भर में प्रशंसा एवं प्रतिष्ठा प्राप्त की है। हालांकि लोकतंत्र की इस समृद्ध यात्रा में आपातकाल जैसा एक कलंकित अध्याय भी जुड़ा है। 25 जून, 1975 की वो रात कौन भूल सकता है जिसे खासतौर पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ‘तानाशाही’ के रूप में जाना जाता है। ये वही रात थी जब तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर देश में आपातकाल की घोषणा की थी।

25 जून 2025 को कांग्रेस की शीर्ष नेता और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देश पर आपातकाल को थोपे हुए 50 वर्ष पूरे होंगे। इमरजेंसी में कांग्रेस की दुर्भावना का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने आज तक इसके लिए माफी नहीं मांगी। बीती 21 जून को पूर्व उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने देश की एक प्रतिष्ठित न्यूज एजेंसी को दिए साक्षात्कार में कहा, ”कांग्रेस को आपातकाल के लिए देश के लोगों से माफी मांगनी चाहिए। कांग्रेस को इसे लेकर पछतावा होना चाहिए, लेकिन कांग्रेस ने कभी भी इसके लिए माफी नहीं मांगी। अब जब देश में आपातकाल लागू हुए 50 साल होने जा रहे हैं, तो ऐसे में कांग्रेस पार्टी को सार्वजनिक रूप से इस पर पछतावा होना चाहिए।”

20 नवंबर, 2017 को आपातकाल के दौरान जेल काटने वाले पत्रकार कुलदीप नैयर का बीबीसी में प्रकाशित एक लेख आपातकाल को लेकर कांग्रेस के चरित्र का बखूबी चित्रण करता है। नैयर लिखते हैं, ”आपातकाल किसी अपराध से कम नहीं था, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने इसके लिए कभी माफ़ी नहीं मांगी। ख़ासकर नेहरू-गांधी खानदान से अफ़सोस का एक शब्द भी नहीं कहा गया। ग़ैर-कांग्रेसी पार्टियों ने इसके विरोध में बयान जारी किया या विरोध प्रदर्शन भी किया, लेकिन कांग्रेस पार्टी आपातकाल पर ख़ामोश ही रही।”

माफी मांगने की बजाय इंदिरा गांधी के पुत्र पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 23 जुलाई 1985 को आपातकाल पर गर्व करते हुए लोकसभा में कहा था कि आपातकाल में कुछ भी गलत नहीं है। ” पूर्व प्रधानमंत्री ने यहां तक कहा था कि अगर इस देश का कोई प्रधानमंत्री इन परिस्थितियों में आपातकाल को जरूरी समझता है और आपातकाल लागू नहीं करता है तो वह इस देश का प्रधानमंत्री बनने के लायक नहीं है। तानाशाही पर गर्व करने का यह कृत्य ही दर्शाता है कि कांग्रेस को परिवार और सत्ता के अलावा कुछ भी प्रिय नहीं है।” पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का वक्तव्य कांग्रेस के मूल चरित्र को दर्शाता है।

आपातकाल की अवधि के बाद दो पीढ़ियां बड़ी हो चुकी हैं तो उन्हें इसकी भनक नहीं होगी कि तब देश में कितने खराब हालात रहे। बिना किसी अदालती कार्यवाही के संसद से विपक्षी सदस्यों को हिरासत में ले लिया गया। एक लाख से ज्यादा लोगों को जेल में डाल दिया गया था। एक रिपोर्ट के मुताबिक इमरजेंसी के दौरान 1 करोड़ 10 लाख से ज्यादा लोगों की नसबंदी कर दी गई थी। इंदिरा गांधी ने खुद को ही कानून बना लिया था। इंदिरा गांधी में प्रतिशोध की भावना की सारी सीमाएं टूट गई थीं। आपातकाल के दौरान कांग्रेस ने देश के संवैधानिक संस्थाओं और मर्यादाओं के साथ जो खिलवाड़ किया है, उसका खामियाजा आज तक देश भुगत रहा है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने जुलाई 2015 में कहा, ”हमें क्यों माफी मांगनी चाहिए? हम क्यों आपातकाल पर चर्चा करें?” मार्च 2021 को राहुल गांधी ने अमेरिका के कॉर्नेल विश्वविद्यालय में आपातकाल पर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, ”मुझे लगता है कि वह एक गलती थी बिलकुल, वह एक गलती थी। और मेरी दादी (इंदिरा गांधी) ने भी ऐसा कहा था।”

मई 2004 में इंडियन एक्सप्रेस के तत्कालीन प्रधान संपादक शेखर गुप्ता के साथ बातचीत में सोनिया गांधी ने कहा था कि उनकी सास ने बाद में महसूस किया था कि यह एक गलती थी। सोनिया गांधी ने तब कहा था, “ठीक है, मेरी सास ने खुद चुनाव हारने के बाद (1977 में) कहा था कि उन्होंने उस (आपातकाल) पर पुनर्विचार किया था। और यह तथ्य कि उन्होंने चुनाव की घोषणा की, इसका मतलब है कि उन्होंने आपातकाल पर पुनर्विचार किया था।”

बीते साल 25 जून को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आपातकाल की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पढ़ा, जिसमें आपातकाल को ‘प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा संविधान पर हमला’ बताया गया। कांग्रेस सांसदों ने प्रस्ताव विरोध में कहा कि पांच दशक पुराने इस काले दौर का स्मरण नहीं किया जाना चाहिए। ऐसे में अहम सवाल यह है कि क्या कांग्रेस आपातकाल को सही मानती है या फिर यह चाहती है कि लोकतंत्र को कलंकित करने और संविधान का निरादर करने वाले इस तानाशाही भरे कदम का स्मरण नहीं किया जाना चाहिए?

निर्लज्जता की पराकाष्ठा देखिए जिस कांग्रेस के नेता ने केवल अपनी सत्ता कायम रखने के लिए आपातकाल लगाया, इन दिनों उसी पार्टी के नेता संविधान रक्षक होने का दावा करते घूमते हैं। 2024 के आम चुनाव से इंदिरा गांधी के पोते राहुल गांधी लगातार संविधान की एक किताब को सार्वजनिक रूप से लहराकर यह दावा करते रहते हैं कि कांग्रेस ही संविधान एवं लोकतांत्रिक मूल्यों की वास्तविक संरक्षक है, जबकि सच्चाई यही है कि कांग्रेस ने आपातकाल के दौरान संविधान के आत्मा को क्षति पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

दिसंबर 2024 को लोकसभा में संविधान पर विशेष बहस के दौरान प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, “उन्होंने (राजनाथ सिंह) 1975 (आपातकाल) के बारे में बात की तो सीख लीजिए न आप भी… आप भी अपनी गलतियों के लिए माफी मांगिए… आप भी बैलेट पर चुनाव कर लीजिए… दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा।” यानी अपनी गलती के लिए माफी मांगने की बजाय सामने वाले को नसीहत देना कांग्रेस की पुरानी फितरत है। प्रियंका ने भी वही किया जो उनकी पार्टी के नेता करते आए हैं।

नैयर लिखते हैं कि, ”युद्ध के बाद के जर्मनी ने हिटलर के अत्याचारों के लिए माफी मांगी थी। यहां तक कि जर्मनी ने इसके लिए हर्जाना भी भरा था। ऐसे अत्याचारों के लिए कोई माफी नहीं दी जा सकती, लेकिन लोगों को सामान्य तौर पर लगता है कि बच्चों को एहसास होगा कि उनके पूर्वजों ने गलती सुधारने की कोशिश की थी। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अमृतसर स्वर्ण मंदिर गए थे और उन्होंने ब्लू स्टार ऑपरेशन के लिए माफी मांगी थी।”

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 25 जून, 2024 को कांग्रेस पर निशाना साधते हुए जो शब्द कहे थे, उससे कांग्रेस के मूल स्वरूप और चरित्र को जानना और समझना सरल हो जाता है। योगी ने कहा था कि, उस समय कांग्रेस का एक बर्बर चेहरा हम सभी को देखने को मिला था। कैसे कांग्रेस ने उस समय देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया था। कैसे न्यायालय के अधिकारों को कांग्रेस ने उस समय बंधक बनाकर रख दिया था और आज भी कांग्रेस में भले ही नेतृत्व बदला हो, चेहरा बदला हो, लेकिन उसका चरित्र वही है।

आपातकाल के 45 साल बाद विदेशी धरती पर राहुल गांधी ने स्वीकार किया कि इमरजेंसी का निर्णय गलत था। लेकिन देशवासियों से उन्होंने या कांग्रेस के किसी नेता ने आपातकाल के लिए माफी नहीं मांगी। कांग्रेस नेता गाहे-बगाहे आपातकाल पर गुमराह करने और बेशर्मी से इस अमानवीय फैसले को सही साबित करते रहते हैं। लेकिन वे अपनी पार्टी के नेता द्वारा लिए गए एक घोर अलोकतांत्रिक और संविधान का गला घोंटने वाले निर्णय, अमानुषिक और तानाशाही रवैये के लिए माफ़ी मांगने का नैतिक और राजनीतिक साहस जुटा नहीं पाते हैं।


Read More News

UP पॉलिटिक्स: तेज प्रताप से वीडियो कॉल के बाद अखिलेश का सियासी झटका, बिहार में सपा का समर्थन तेजस्वी को

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ हुई वीडियो कॉल के बाद बिहार की राजनीति में नई पारी की...

‘गुंडा राज’ के पोस्टर से कांग्रेस का हमला: ADG के सामने फायरिंग और मुजफ्फरपुर रेप कांड को लेकर घेरा नीतीश सरकार को

पटना के अलग-अलग चौक चौराहे पर कांग्रेस की ओर से दो पोस्टर लगाए गए हैं, जिसके जरिए NDA सरकार पर हमला...

Read More