जम्मू-कश्मीर में रेल सेवा का विस्तार विकास के नये द्वार खोलेगा

NEWS SAGA DESK

भारत का मुकुट कहा जाने वाला जम्मू-कश्मीर महत्वपूर्ण केंद्र शासित प्रदेश है। इसकी सीमाएं एक ओर पाकिस्तान के साथ लगी हैं, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय सीमा तथा वास्तविक नियंत्रण रेखा कहा जाता है, वहीं दूसरी ओर भारतीय सीमा चीन के साथ लगी है। यह सारी सीमाएं अक्सर अशांत रहती हैं। एक ओर पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए आतंकवादियों की घुसपैठ करवाता है तो चीन भी सीमा को लेकर नए-नए विवाद पैदा करता रहा है। सीमा के अधिकांश क्षेत्र पहाड़ी व दुर्गम हैं तथा वहां तैनात सैनिकों तथा सुरक्षाकर्मियों तक युद्ध सामग्री तथा अन्य सामान पहुंचना चुनौतीपूर्ण कार्य है। इसी को देखते हुए केंद्र सरकार इस राज्य में रेल सेवाओं का विस्तार करना चाहती है, जिससे सैनिकों के आने-जाने में आसानी रहे तथा उन तक पर्याप्त मात्रा में आसानी से सामान की पहुंच हो सके।

जम्मू से श्रीनगर जाने का राष्ट्रीय राजमार्ग वर्षा व बर्फबारी के कारण अक्सर बंद हो जाता है तथा कई-कई दिनों तक बंद रहता है। वहीं, श्रीनगर-लेह मार्ग पहले प्रतिवर्ष 15 अक्टूबर को बंद कर दिया जाता था तथा 15 जून को खुलता था। परंतु अब सरकार सड़कों की ओर ध्यान दे रही है तथा उसका उद्देश्य लेह तक रेल लाइन पहुंचने का है ताकि पूरा वर्ष लेह-लद्दाख देश के अन्य भागों से जुड़ा रह सके। इसी सिलसिले में कटरा-श्रीनगर रेलमार्ग बनकर तैयार हो गया है तथा इसी माह यह सेवा प्रारंभ होने की संभावना है। जब श्रीनगर तक रेल सेवा प्रारंभ होगी तो पर्यटकों की संख्या में भी भारी वृद्धि होगी तथा नए-नए उद्योग स्थापित होंगे, जिससे वहां विकास की गति तेज होगी तथा रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे।

इस समय जम्मू रेलवे स्टेशन के विस्तार का कार्य चल रहा है। पटरियों की इंटरलॉकिंग की जा रही है। यह कार्य 15 मार्च तक समाप्त होने की संभावना है। उसके उपरांत ही श्रीनगर व देश के अन्य भागों तक रेल सेवा का विस्तार होगा। कटरा-श्रीनगर रेल लाइन की सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं। सीआरएस सेफ्टी कमिश्नर द्वारा 7 व 8 जनवरी को 2 दिन के लिए वहां 110 किलोमीटर की स्पीड से रेलगाड़ी चलाकर इसका हर प्रकार से निरीक्षण किया तथा सभी मापदंड सही पाए गए। अब इस रेलखंड का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 26 जनवरी के आसपास किए जाने की संभावना है। इससे कश्मीर देश के सभी भागों के साथ रेल से जुड़ जाएगा।

अभी कश्मीर घाटी में भारी हिमपात हो रहा है तथा कड़ाके की ठंड पड़ रही है, इसे देखते हुए रेल विभाग कटरा से श्रीनगर तक रेल सेवा अलग से चलाएगा। रेलवे विभाग ने उसके लिए अलग से वंदेभारत रेल बनाई है, जिसमें सर्दी से बचने के लिए सभी प्रकार की सुविधा रखी गई है ताकि यात्रियों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। इस रेलमार्ग पर बिजली से ही इंजन चलेंगे तथा इस रूट पर बर्फबारी का खतरा बना रहेगा, इसको देखते हुए इंजन पर विशेष यंत्र लगाए गए हैं। शीशा तीन लेयर का है, जो हर समय गर्म रहेगा ताकि पड़ने वाली बर्फ ना ठहर पाए, बर्फ गिरते ही पिघल जाए, जिससे इंजन चालक को रेलवे ट्रैक देखने में मुश्किल का सामना न करना पड़े।

रेल डिब्बों में भी यात्रियों की सुविधा के लिए तापमान गर्म रखा है। यहां तक कु बाथरूम भी विशेष रूप से बनाए गए हैं, जिससे वहां का पानी जम ना सके। कटरा से कश्मीर तक की दूरी लगभग 200 किलोमीटर की है तथा यह दूरी लगभग 3ः30 घंटे में पूरी हो जाएगी। प्रारंभ में तीन ट्रेनें कटरा से श्रीनगर जाएंगी तथा वह तीनों वापस आएंगी। आतंकवाद को देखते हुए सभी ट्रेनें दिन को ही चला करेंगी। रात को कोई रेलगाड़ी नहीं चलेगी।

प्रधानमंत्री द्वारा 6 जनवरी को जम्मू रेलवे डिवीजन जो पहले फिरोजपुर रेलवे डिविजन के अंतर्गत होता था, उसे अलग घोषित कर दिया गया है। जम्मू रेलवे डिवीजन के अंतर्गत पूरा जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश तथा पंजाब व हिमाचल के भी कुछ भाग होंगे। इसके अंतर्गत अभी तक लगभग 750 किलोमीटर रेल लाइन है, उसके उपरांत राज्य में रेलवे के कई अन्य प्रोजेक्ट का सर्वेक्षण किया जा रहा है, जैसे बारामूला से उड़ी, कुपवाड़ा जम्मू से पुंछ प्रमुख हैं। इससे इस प्रदेश के लोगों को रोजगार मिलेगा तथा विकास की गति तेज होगी।

यदि जम्मू-कश्मीर का रेल इतिहास देखा जाए तो जब भारत-पाकिस्तान का विभाजन नहीं हुआ था तब जम्मू से सियालकोट तक रेल सेवा थी। सियालकोट पाकिस्तान में जाने से यह रेल सेवा बंद हो गई। 1971 में पठानकोट जम्मू रेल सेवा प्रारंभ हुई तथा रेलगाड़ियां जम्मू तक आना प्रारंभ हुई। 1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उधमपुर में, उधमपुर-जम्मू रेलवे रेल मार्ग की नींव रखी तथा 55 किलोमीटर लंबे प्रोजेक्ट को 5 वर्ष में पूरा करने का वायदा किया परंतु पैसे की कमी तथा पहाड़ी दुर्गम रास्तों के कारण यह प्रोजेक्ट 21 वर्षों में पूरा हुआ तथा तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने इसका उद्घाटन किया। 1994 में रेलमंत्री ने रेल लाइन को बारामूला तक ले जाने की घोषणा की तथा 1995 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी। धन के अभाव एवं दुर्गम क्षेत्र होने के कारण जहां कार्य टुकड़ों में तथा धीमी गति से चलता रहा। 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय प्रोजेक्ट घोषित किया तथा इसके कार्य में तेजी आई। सबसे पहले जम्मू-उधमपुर प्रोजेक्ट 2004 में तैयार हुआ परंतु चुनाव घोषणा के कारण इसके उद्घाटन में देरी हो गई।

कश्मीर घाटी क्योंकि समतल है, इस कारण वहां भी रेलवे का कार्य प्रारंभ किया गया। 2008 अनंतनाग मजामा जो श्रीनगर का बाहरी क्षेत्र है 66 किलोमीटर रेल लाइन प्रारंभ की गई। 2009 में पटन से बारामुला तक रेल सेवा प्रारंभ हो गई। 2013 में काजीगुंड-बनिहाल के बीच 11 किलोमीटर सुरंग का निर्माण हुआ, जिससे बनिहाल-बारामुला के बीच रेल सेवा प्रारंभ हो गई। कई मुश्किलों व दुश्वारियों के उपरांत 2014 में कटरा-उधमपुर के बीच सेवा प्रारंभ की गई, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 4 जुलाई 2014 को किया। 20 फरवरी 2024 को बनिहाल से संगलदान तक रेल लाइन का उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किया गया। संगलदान से कटरा तक अब रेलवे ट्रैक तैयार हो गया है तथा इसके उद्घाटन की प्रतीक्षा की जा रही है।

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