News Saga Desk
नई दिल्ली। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने प्रदर्शन निगरानी और तेजी से सीएफए वितरण को बढ़ाने के लिए अपशिष्ट से ऊर्जा परियोजनाओं के लिए संशोधित दिशा-निर्देश अधिसूचित किए हैं। यह राष्ट्रीय बायो एनर्जी कार्यक्रम का एक हिस्सा है।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी बयान में बताया कि एमएनआरई ने राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम के तहत अपशिष्ट से ऊर्जा (डब्ल्यूटीई) कार्यक्रम के लिए संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन संशोधनों का उद्देश्य भारत में जैव अपशिष्ट से ऊर्जा के उपयोग के लिए अधिक कुशल, पारदर्शी और प्रदर्शन-उन्मुख पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना है।
मंत्रालय के मुताबिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने, वित्तीय सहायता में तेजी लाने और संयंत्र के प्रदर्शन के साथ समर्थन को संरेखित करके, अद्यतन दिशा-निर्देश निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के लिए व्यवसाय करने में आसानी को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। नए ढांचे के तहत मंत्रालय ने कई प्रक्रियाओं को सरल बनाया है, जैसे कि कागजी कार्रवाई में कटौती और अनुमोदन आवश्यकताओं को आसान बनाना, जिससे उद्योग विशेष रूप से एमएसएमई को सीबीजी, बायोगैस और बिजली का उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि प्रस्तुत संशोधन से परियोजना डेवलपर्स को कमीशनिंग की तारीख से 18 महीने के भीतर या सीएफए के सैद्धांतिक अनुमोदन की तारीख से, जो भी बाद में हो, सीएफए का दावा करने में लचीलापन प्रदान किया गया है। ये बदलाव पराली, औद्योगिक कचरे सहित अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार और 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन तक पहुंचने के भारत के व्यापक लक्ष्य के साथ अच्छी तरह से संरेखित हैं।
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