NEWS SAGA DESK
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की मतगणना शुरू होते ही राजनीतिक तस्वीर साफ होने लगी है। शुरुआती रुझानों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है और सत्ता में वापसी की मजबूत स्थिति में दिखाई दे रहा है। निर्वाचन आयोग के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार एनडीए ने शुरुआती दौर में ही निर्णायक बढ़त बना ली है।
जेडीयू सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरती
एनडीए के प्रमुख घटक दल जनता दल (यूनाइटेड) ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। शुरुआती रुझानों में जेडीयू करीब 76 सीटों पर आगे चल रही है और गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर रही है। भाजपा भी मजबूत स्थिति में है, जिससे संकेत मिलते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी इस चुनाव में गठबंधन की केंद्रीय भूमिका निभा रही है।
मतगणना शुक्रवार सुबह 8 बजे राज्य के 38 जिलों में स्थापित काउंटिंग सेंटरों पर कड़ी सुरक्षा और सख्त निगरानी में शुरू हुई। शुरुआती दौर में ही एनडीए को स्पष्ट बहुमत का अंदाजा मिल रहा है, जबकि महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव को बड़ा झटका लगता दिख रहा है।
मतगणना शुरू होने के लगभग एक घंटे बाद शुरुआती रुझान सामने आने लगते हैं। अनुमान है कि सुबह 9:30 से 11 बजे के बीच अधिकांश सीटों की शुरुआती बढ़त साफ होने लगेगी। वहीं अंतिम नतीजों की तस्वीर दोपहर 3–4 बजे के बीच स्पष्ट होने की संभावना है।
243 सीटों पर मुकाबला-122 की जरूरत बहुमत के लिए
बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों पर दो चरणों में मतदान पूरा हुआ था। सरकार बनाने के लिए किसी भी गठबंधन को 122 सीटों का आंकड़ा चाहिए। एनडीए और महागठबंधन दोनों ने जोरदार चुनाव प्रचार किया था, जिससे मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया था।
एग्जिट पोल का संकेत भी एनडीए के पक्ष में
चुनावों से पहले आए एग्जिट पोल में भी एनडीए को बढ़त मिलती दिखी थी। अनुमानों में एनडीए को 133–160 सीटें और महागठबंधन को 70–102 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया था। अब सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि वास्तविक परिणाम क्या दिशा दिखाते हैं और प्रशांत किशोर के चुनावी हस्तक्षेप का असर किसे कितना पड़ा।
मतगणना केंद्रों पर कड़े सुरक्षा इंतज़ाम
चुनाव आयोग ने पूरी मतगणना प्रक्रिया को पारदर्शी और शांतिपूर्ण रखने के लिए कड़े सुरक्षा प्रबंध किए हैं। काउंटिंग हॉल में CCTV निगरानी, त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरा और अधिकृत एजेंटों की उपस्थिति सुनिश्चित की गई है। हर चरण की निगरानी के साथ किसी भी तरह की अनियमितता की संभावना नगण्य रह गई है।
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