NEWS SAGA DESK
इस्लामाबाद : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने पाकिस्तान सरकार को जल संसाधन प्रबंधन में गंभीर सुधार लाने की सलाह दी है। आईएमएफ ने चेतावनी दी कि देश को बड़े बांधों और जल परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए लगभग 3.3 ट्रिलियन रुपये की तत्काल आवश्यकता है।
इस्लामाबाद में आयोजित सतत विकास नीति संस्थान (SDPI) के चार दिवसीय सम्मेलन के समापन सत्र में आईएमएफ के स्थानीय प्रतिनिधि माहिर बिनिसी ने कहा कि पाकिस्तान को हर साल जल संकट और बाढ़ जैसी दोहरी चुनौतियों से जूझना पड़ता है। उन्होंने सुझाव दिया कि देश को अपने जीडीपी का कम से कम एक प्रतिशत लचीले अवसंरचना (resilient infrastructure) में निवेश करना चाहिए ताकि प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले आर्थिक नुकसान को कम किया जा सके।
बिनिसी ने कहा कि आईएमएफ कार्यक्रम के तहत पाकिस्तान को 2027 तक टैक्स-टू-जीडीपी अनुपात 13.5 फीसदी तक बढ़ाना होगा। उन्होंने देश के कमजोर राजस्व आधार, खराब शासन व्यवस्था और सीमित निर्यात ढांचे को आर्थिक विकास में बड़ी बाधा बताया।
वहीं, विश्व बैंक की प्रतिनिधि बोलोरमा अमगाबाजार ने कहा कि 2022 की बाढ़ से पाकिस्तान को करीब 30 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था, जबकि हालिया बाढ़ से भी 2.9 अरब डॉलर का आर्थिक असर पड़ा।
नेस्ले पाकिस्तान के प्रबंध निदेशक जेसन अवंसेना ने बताया कि कंपनी ने जलवायु परिवर्तन और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में लचीलापन बढ़ाने के लिए तीन करोड़ डॉलर से अधिक का निवेश किया है।
सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान का नागरिक-सैन्य नेतृत्व जलाशय निर्माण के लिए नए वित्तीय विकल्पों पर विचार कर रहा है। फिलहाल केंद्र और प्रांतों के बीच 3.3 ट्रिलियन रुपये के वित्तपोषण को लेकर मतभेद बने हुए हैं।
जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार, मौजूदा बजट गति से मोहमंद बांध को पूरा होने में 15 साल और डायमर-भाषा बांध को 20 साल से अधिक समय लग सकता है। सरकार इस दिशा में अतिरिक्त धन जुटाने के लिए नई कर नीति लाना चाहती थी, लेकिन आईएमएफ ने इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी।
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