NEWS SAGA DESK
वाशिंगटन : अमेरिका की एक संघीय अदालत ने ओरेगन के पोर्टलैंड में नेशनल गार्ड की तैनाती पर रोक लगाते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ सख्त टिप्पणी की है। अमेरिकी जिला न्यायालय की न्यायाधीश करिन जे. इमरगुट ने अपने आदेश में कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने आईसीई (आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन) कार्यालय की सुरक्षा के नाम पर सैनिकों की तैनाती कर अपने संवैधानिक अधिकारों का अतिक्रमण किया है। द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायाधीश करिन जे. इमरगुट को स्वयं राष्ट्रपति ट्रंप ने न्यायाधीश के रूप में नामित किया था। अपने 106 पृष्ठों के फैसले में उन्होंने सरकारी वकीलों की उन दलीलों को खारिज किया कि विरोध प्रदर्शनों ने संघीय अधिकारियों के लिए आव्रजन संबंधी कार्यवाही को असंभव बना दिया था।
न्यायाधीश ने कहा कि ओरेगन में नेशनल गार्ड की तैनाती का प्रयास अमेरिकी संविधान के 10वें संशोधन का उल्लंघन है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि ओरेगन की गवर्नर ने इस तैनाती पर आपत्ति जताई थी और इसे राष्ट्रपति के अधिकार क्षेत्र से बाहर बताया था।
न्यायाधीश इमरगुट ने राष्ट्रपति ट्रंप के इस दावे को भी खारिज किया कि एंटीफा नामक संगठन पोर्टलैंड में संघीय सरकार के खिलाफ संगठित रूप से काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शनों से जुड़े मामलों में आईसीई के क्षेत्रीय निदेशक की गवाही विश्वसनीय नहीं पाई गई।
गवर्नर ने फैसले को बताया सही दिशा में कदम
ओरेगन की डेमोक्रेट गवर्नर टीना कोटेक ने अदालत के इस फैसले का स्वागत किया और कहा कि यह “जमीनी सच्चाई को दर्शाता है।” उन्होंने कहा, “ओरेगन सैन्य हस्तक्षेप नहीं चाहता। राष्ट्रपति द्वारा नेशनल गार्ड को संघीय नियंत्रण में लाने का प्रयास सत्ता का दुरुपयोग है।”
ट्रंप प्रशासन ने फैसले का किया बचाव
वहीं, राष्ट्रपति प्रशासन की सहायक सचिव ट्रिशिया मैकलॉघलिन ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप अपने वैधानिक अधिकारों के तहत संघीय संपत्तियों और कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पोर्टलैंड में लंबे समय से हिंसक घटनाएं हो रही हैं और राष्ट्रपति वहां सुरक्षा बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अदालत का यह फैसला अमेरिकी संघीय व्यवस्था और राष्ट्रपति के अधिकारों की सीमाओं को लेकर चल रही बहस को एक बार फिर चर्चा के केंद्र में ले आया है।
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