News Saga Desk
पटना। पटना में स्टूडेंट्स सरकारी नौकरियों में डोमिसाइल और पारदर्शिता लागू करने की मांग कर रहे हैं। स्टूडेंट्स गांधी चौक, मुसल्लहपुर हाट, भिखना पहाड़ी, नया टोला, मछुआ टोली, हथुआ मार्केट होते हुए गांधी मैदान, जेपी गोलंबर, डाक बंगला होते हुए मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने निकले हैं। स्टूडेंट्स राज्य के अलग-अलग जिलों से पटना पहुंचे हैं। इससे पहले 5 जून को भी छात्र-छात्राओं ने प्रदर्शन किया गया था।

शिक्षक भर्ती में 100% डोमिसाइल लागू करने की मांग
प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने साफ कहा कि बिहार में BPSC TRE (शिक्षक भर्ती) में प्राथमिक शिक्षक पदों के लिए 100 प्रतिशत डोमिसाइल लागू किया जाए, क्योंकि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में होने से बच्चों का विकास बेहतर होता है।
उन्होंने माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक शिक्षकों की भर्ती, दारोगा, सिपाही, लाइब्रेरियन, BPSC और अन्य सभी सरकारी नौकरियों में भी 90 प्रतिशत डोमिसाइल लागू करने की मांग की। उनका तर्क है कि इससे बिहार के युवाओं को रोजगार मिलेगा और राज्य की सामाजिक-आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
क्या है डोमिसाइल ?
डोमिसाइल का अर्थ है ‘स्थानीय निवास प्रमाणपत्र’। यह प्रमाण पत्र बताता है कि कोई व्यक्ति किस राज्य का स्थायी निवासी है।
डोमिसाइल का उपयोग क्यों होता है?
राज्य सरकारें डोमिसाइल प्रमाणपत्र के आधार पर अपने प्रदेश के युवाओं को सरकारी नौकरियों, शैक्षणिक संस्थानों की सीटों या स्थानीय योजनाओं में प्राथमिकता देती हैं।
बिहार की सरकारी नौकरी में डोमिसाइल का क्या फायदा?
बिहार में डोमिसाइल लागू होने से कई लाभ होंगे-
1. बिहारी युवाओं को प्राथमिकता – बाहर के अभ्यर्थियों के मुकाबले स्थानीय छात्रों को अवसर मिलेगा।
2. मातृभाषा और सांस्कृतिक अनुकूलता – प्राथमिक शिक्षक पदों पर स्थानीय भाषा की समझ और संवाद क्षमता शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाएगी।
3. रोजगार में बाहरी निर्भरता घटेगी – अन्य राज्यों के मुकाबले बिहार में युवाओं का पलायन रुकेगा।
4. राज्य की अर्थव्यवस्था को बल – अधिक से अधिक युवाओं के पास रोजगार होगा, जिससे उनका सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण होगा।
5. प्रतिस्पर्धा में संतुलन – जैसे अन्य राज्यों ने डोमिसाइल लागू कर स्थानीय युवाओं को लाभ पहुंचाया है, बिहार के युवाओं को भी बराबरी का मौका मिलेगा।
किस राज्य में लागू है डोमिसाइल?
हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान सहित कई राज्यों में डोमिसाइल लागू है। वहां की नौकरियों में स्थानीय युवाओं को विशेष वरीयता दी जाती है। बिहार के छात्र लंबे समय से यह तर्क दे रहे हैं कि अन्य राज्यों की नीति के कारण वे नुकसान झेल रहे हैं।
बिहार सरकार का ऐलान – भर्ती में डोमिसाइल लागू होगा
बिहार सरकार भी अब डोमिसाइल लागू करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने 19 जून को में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी दी थी कि बिहार में होने वाली आगामी भर्तियों में डोमिसाइल नीति लागू की जाएगी। उन्होंने लिखा, बिहार के युवाओं के लिए खुशखबरी। स्कूलों में 15,000 पदों पर भर्ती होगी। नियुक्ति में लागू होगी डोमिसाइल नीति।
राजनीतिक दलों का रुख
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने तो आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर वादा किया है कि अगर उनकी सरकार बनती है तो 100 प्रतिशत डोमिसाइल नीति लागू की जाएगी। पार्टी नेताओं का तर्क है कि यह नीति बिहार के युवाओं का संवैधानिक अधिकार है।
डोमिसाइल लागू होने से किसे नुकसान?
विपक्षियों का तर्क है कि इससे बिहार में योग्य बाहरी अभ्यर्थियों के अवसर सीमित होंगे, लेकिन छात्र संगठनों का कहना है कि पहले राज्य के युवाओं का हक तय होना चाहिए।
बिहार में डोमिसाइल नीति का राजनीतिक महत्व
डोमिसाइल नीति बिहार की राजनीति में हमेशा से बड़ा मुद्दा रही है। युवाओं के बढ़ते पलायन और नौकरी में बाहरी उम्मीदवारों की बढ़ती संख्या ने इस मांग को और मुखर कर दिया है। आने वाले समय में यह मुद्दा विधानसभा चुनावों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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