ईरान में कहर बरपाने वाला अमेरिकी B2 स्टील्थ बॉम्बर: जानिए कितनी खतरनाक है इसकी बंकर बस्टर ताकत

News Saga Desk

नई दिल्ली। बी-2 स्टेल्थ बमवर्षक (B‑2 Stealth Bomber) दुनिया का सबसे महंगा विमान है। अमेरिका ने बी-2 स्पिरिट स्टेल्थ बमवर्षकों से ईरान के परमाणु ठिकानों(Iran nuclear strike) को ध्वस्त किया। बी-2 से 13,600 किलो के कई “बंकर-बस्टर” बम गिराए। बी-2 एकमात्र ऐसा विमान है जो बंकर बस्टर जीबीयू-57 ए/बी मैसिव आर्डनेंस पेनेट्रेटर (एमओपी) बम (GBU‑57 bunker buster) गिरा सकता है। जमीन के अंदर गहराई में जाकर लक्ष्य को भेदने की वजह से इसे बंकर बस्टर बम कहा जाता है। केवल अमेरिका के पास ही बंकर बस्टर बम हैं।

बहू-भूमिका वाला स्टेल्थ बमवर्षक विमान है B-2

  • बी-2 की कीमत करीब 2.1 अरब प्रति डालर से भी अधिक है। यह बहु-भूमिका वाला स्टेल्थ विमान है। इस समय अमेरिकी वायुसेना के पास 19 बी-2 का बेड़ा है। बी-2 का पहली बार 1997 में उपयोग किया गया था।
  • इस लड़ाकू विमान को दो पायलट उड़ाते हैं। इन विमानों के काकपिट में माइक्रोवेव ओवन और छोटे रेफ्रिजरेटर लगे हैं ताकि लंबी उड़ानों के दौरान चालक दल के सदस्य को सलूहियत हो और सचेत रहें। इन विमानों में शौचालय की सुविधा भी है। एक पायलट के आराम करने के लिए व्यवस्था जगह है, जबकि दूसरा पायलट बैटविंग जेट को नियंत्रित करता है।
  • यह हवाई सुरक्षा भेदने और सटीक हमले करने में सक्षम है। एक साथ दो जीबीयू-57 बम ले जा सकता है। पारंपरिक रडार पर इसे पकड़ पाना मुश्किल है। इसे पहली बार सोवियत संघ पर हमले के लिए बनाया गया था। नार्थ्रॉप ग्रुम्मन कारपोरेशन द्वारा निर्मित इस बमवर्षक का उत्पादन 1980 के दशक के अंत में शुरू हुआ था।
  • यह बिना ईंधन भरे छह हजार समुद्री मील (11,112 किमी) से अधिक की रेंज में महाद्वीपीय अमेरिकी ठिकानों से वैश्विक हमले करने में सक्षम है। दोबारा ईंधन भरे जाने पर 11,500 मील (18,500 किलोमीटर) तक हमला करने में सक्षम है।
  • 172 फीट के पंख फैलाव और केवल दो पायलटों के चालक दल के साथ बी-2 लंबी दूरी की उड़ानों को पूरा करने में मदद करने के लिए आटो पायलट का भी इस्तेमाल करता है। यह कुछ ही घंटों में विश्व के किसी भी स्थान पर पहुंच सकता है। 40 हजार पाउंड (18,144 किलोग्राम) से अधिक की इसकी पेलोड क्षमता के साथ यह विमान पारंपरिक और परमाणु दोनों तरह के हथियार ले जाने में सक्षम है।

कई खूबियों से लैस है दुनिया का सबसे महंगा सैन्य विमान

  • चार जनरल इलेक्ट्रिक एफ118- जीई-100 इंजन
  • थ्रस्ट: प्रत्येक इंजन का 17,300 पाउंड
  • विंगस्पैन: 172 फीट (52.12 मीटर)
  • लंबाई: 69 फीट (20.9 मीटर)
  • ऊंचाई: 17 फीट (5.1 मीटर)
  • वजन: 160,000 पाउंड (72,575 किलोग्राम)
  • अधिकतम टेकआफ वजन: 336,500 पाउंड (152,634 किलोग्राम)
  • ईंधन क्षमता : 167,000 पाउंड (75750 किलोग्राम)
  • रेंज: अंतरमहाद्वीपीय
  • अधिकतम सीमा: 50,000 फीट (15,240 मीटर)
  • आयुध: पारंपरिक या परमाणु हथियार
  • चालक दल: दो पायलट

परमाणु ठिकानों पर कार्रवाई के लिए 37 घंटे तक चला अभियान

  • ईरान के परमाणु ठिकानों पर कार्रवाई के लिए अमेरिकी आपरेशन 37 घंटे तक चला। यह 11 सितंबर, 2001 के आतंकी हमलों के बाद अफगानिस्तान पर अमेरिकी हमले के बाद सबसे लंबा बी-2 बमवर्षक अभियान था।
  • बी-2 में शौचालय, माइक्रोवेव और कूलर होने के कारण मिसौरी से ईरान तक जाकर हमला करने और वापस आने तक की 37 घंटे की यात्रा के दौरान पायलटों को कोई परेशानी नहीं हुई।
  • द अटलांटिक के अनुसार, इस प्रकार के विमानों को संचालित करने वाले पायलट लंबी उड़ान के लिए तैयार रहते हैं।इसका उपयोग कोसोवो युद्ध (1999), अफगानिस्तान (2001), इराक युद्ध (2003), और लीबिया (2011) में किया गया था। अब ईरान के खिलाफ इसका इस्तेमाल हुआ है।व्हाइटमैन एएफबी, मिसौरी, बी-2 के लिए एकमात्र परिचालन बेस है। बी-2 के लिए डिपो रखरखाव की का प्रबंधन ओक्लाहोमा सिटी एयर लाजिस्टिक्स सेंटर द्वारा किया जाता है।

अमेरिकी बंकर-बस्टर बम ने तोड़ दी थी सद्दाम की उम्मीद

इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन ने 1990 में जब कुवैत पर आक्रमण किया, तो अमेरिका ने इराकी सेना से लड़ने के लिए आपरेशन डेजर्ट स्टार्म शुरू किया। यह अभियान 28 फरवरी, 1991 को समाप्त हो गया, पर युद्ध विराम से एक दिन पूर्व, बंकर-बस्टर बम गिराया गया। बताया जाता है कि इसके बाद ही प्रथम खाड़ी युद्ध समाप्त हुआ।

34 साल बाद अमेरिका ईरान में भी ऐसी ही उम्मीद कर रहा है। अमेरिका और गठबंधन सेना द्वारा शुरू किए गए 42-दिवसीय हवाई अभियान ने इराकी सुरक्षा को तहस-नहस कर दिया। सद्दाम और उनके सैनिकों को कई मीटर गहरे कंक्रीट के भूमिगत बंकरों में छिपना पड़ा, जिन्हें बीएलयू-109 से भी नहीं भेदा जा सकता था, जो अमेरिका द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला बंकर-बस्टर है क्योंकि ये बम चार से छह फीट से अधिक मजबूत कंक्रीट को भेद नहीं सकते थे। इराकी कमांडरों ने इन 40 कंक्रीट बंकरों से सैनिकों को निर्देश देना जारी रखा, जो अक्सर बगदाद में कम से कम 50 फीट भूमिगत स्थित होते हैं। जमीनी सैनिकों को उन्हें निशाना बनाने में ज्यादा सफलता नहीं मिली, और अमेरिकी वायुसेना ने गहराई से हमला करने के लिए एक शक्तिशाली बम बनाने का आह्वान किया। चार सप्ताह के भीतर अमेरिकी इंजीनियरों ने जीबीयू-28 विकसित किया। 24 फरवरी, 1991 को, नेवादा में एफ-111 से जीबीयू-28 को गिराया गया। यह सुपरसोनिक गति से कम से कम 100 फीट गहराई तक पहुंचा। केवल दो परीक्षण के बाद इसका उपयोग युद्ध में किया गया। यह पहली बार था जब किसी बम को इस्तेमाल होने से पहले केवल दो प्रदर्शन परीक्षण किए गए। एफ-111 आर्डवार्क यूएसएएफ का सेवानिवृत्त बहु-भूमिका सुपरसोनिक विमान है जिसका उपयोग टोही और रणनीतिक बमबारी मिशनों के लिए किया जाता था। यह दो जीबीयू-28 के साथ उड़ान भरता था। दो जीबीयू-28 बमों को हवाई मार्ग से सऊदी अरब के ताइफ में अमेरिकी वायुसेना के सी-141 स्टारलिफ्टर पर ले जाया गया।

मिशन अल ताजी एयरबेस पर हमला करना था, जो अब तक एफ-117 नाइटहाक्स से जीबीयू-27 हमलों से बच गया था। हालांकि सद्दाम अल ताजी के बंकरों में मौजूद नहीं थे। पूरे युद्ध में केवल दो जीबीयू -28 का इस्तेमाल किया गया था। एक दिन बाद, सद्दाम के सैनिकों ने गठबंधन सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और युद्ध समाप्त हो गया। बाद में इन बमों को यूगोस्लाविया, 2003 में दूसरे खाड़ी युद्ध और अफगानिस्तान में तैनात किया गया था। इजरायल 2005 में अमेरिका से ये बम खरीदने वाला पहला देश था। ट्रंप ने दावा किया कि जीबीयू-57, जीबीयू-28 के समान श्रेणी का बम है, जिसने ईरानी परमाणु केंद्रों को “भारी क्षति” पहुंचाई।


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