NEWS SAGA DESK
साल 2025 का भारत आर्थिक आत्मविश्वास और अर्जित सम्मान की नई ऊंचाइयों पर खड़ा है। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, अमेरिकी टैरिफ और पश्चिमी दबावों जैसी चुनौतियों के बीच भी भारत ने अपनी विकास दर को स्थिर रखा है। साथ ही समावेशी और टिकाऊ विकास का उदाहरण भी पेश किया है। कहना होगा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आज भारत आत्मनिर्भरता और आधुनिकता के संगम से एक नई आर्थिक पहचान गढ़ रहा है। सरकारी नीतियों की स्थिरता, जनकल्याण की निरंतरता और निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी ने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है।
वस्तुत: अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों; आईएमएफ, विश्व बैंक और एशियन डेवलपमेंट बैंक की रिपोर्टों के अनुसार, भारत 2025 में लगभग 6.5 प्रतिशत की दर से आर्थिक वृद्धि दर्ज कर रहा है, जो वैश्विक औसत 3.2 प्रतिशत से लगभग दुगुनी और चीन की 4.8 प्रतिशत दर से भी अधिक है। भारत की कुल जीडीपी अब 4.3 ट्रिलियन डॉलर यानी 357 ट्रिलियन रुपये से अधिक हो चुकी है, जिससे वह अमेरिका और चीन के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित हो गया है। इस उपलब्धि के पीछे सरकार की पूंजीगत व्यय में ऐतिहासिक वृद्धि, सेवा क्षेत्र की तेजी, मजबूत घरेलू खपत और डिजिटल ढांचे का व्यापक विस्तार जैसे कारक हैं। रेलवे, सड़क, बंदरगाह, हरित ऊर्जा और रक्षा निर्माण में बढ़ते निवेश ने भारत की अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक मजबूती प्रदान की है।
हमारे लिए यह गौरवपूर्ण बात हो सकती है कि अमेरिकी प्रशासन द्वारा भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने के बाद भी निर्यातकों ने अद्भुत लचीलापन दिखाया। अप्रैल से सितंबर 2025 के बीच भारत का कुल निर्यात (वस्तु और सेवा मिलाकर) 413 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 396 बिलियन डॉलर की तुलना में 4.45 प्रतिशत अधिक है। यह इस बात का प्रमाण है कि भारत वैश्विक संकटों के प्रभाव से उबरने में सक्षम है। मोदी सरकार ने कठिन परिस्थितियों में भी ऊर्जा नीति को राष्ट्रहित में रखा हुआ है। जैसा कि देखने में भी आया, रूस जैसे वैकल्पिक स्रोतों से सस्ते तेल आयात जारी रखकर औद्योगिक लागत को नियंत्रण में रख पाने में सरकार सफल रही है।
घरेलू बाजार में त्योहारी सीजन के दौरान जबरदस्त उछाल रहा, दिवाली 2025 पर देश भर में रिकॉर्ड 6.05 लाख करोड़ रुपये का कारोबार हुआ, जो पिछले वर्ष की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक है। इससे यह स्पष्ट हुआ कि भारतीय उपभोक्ता का विश्वास अपनी अर्थव्यवस्था पर मजबूत बना हुआ है। यह भी हमारे लिए गौरव की बात है कि 87 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान भाग लेकर स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता दी। धनतेरस पर एक ही दिन में एक लाख से अधिक चारपहिया वाहनों की बिक्री हुई, जिनमें प्रमुख रूप से भारतीय और भारत में निर्मित ब्रांड्स-टाटा, महिंद्रा, मारुति और हुंडई का दबदबा दिखा। यह दृश्य बताता है कि हमारी क्रय शक्ति लगातार बढ़ रही है। जिसमें कि आत्मनिर्भर भारत के प्रति समाज का भावनात्मक जुड़ाव भी है।
स्वदेशी कंपनियों की सफलता की कहानियाँ अब वैश्विक स्तर पर चर्चा में हैं। ऑटोमोबाइल, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, एफएमसीजी और खुदरा क्षेत्र में भारतीय कंपनियाँ विदेशी ब्रांड्स को कड़ी टक्कर दे रही हैं। मोबाइल निर्माण के क्षेत्र में भारत अब 300 से अधिक उत्पादन इकाइयों के साथ विश्व का प्रमुख केंद्र बन चुका है। 2025 के पहले पाँच महीनों में ही देश में आईफोन के उत्पादन का मूल्य 10 बिलियन डॉलर पार कर गया। टाटा, महिंद्रा, बजाज और मारुति जैसे ब्रांड्स लगातार बाजार में अग्रणी हैं, जबकि एफएमसीजी और खुदरा क्षेत्र में डाबर, पतंजलि, आईटीसी, रिलायंस रिटेल और गोदरेज जैसी कंपनियों ने मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। ग्रामीण और शहरी दोनों बाजारों में स्थानीय उत्पादों की खपत बढ़ने से अपार नए रोजगार में वृद्धि दिख रही है।
ऐसे में सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएं भी ध्यान में आती हैं। इस वर्ष में मोदी सरकार की दस प्रमुख योजनाओं ने गरीब, किसान, महिला, युवा और बुजुर्ग सभी वर्गों को सशक्त किया है। पीएम सूर्य घर योजना के तहत लाखों घरों में सौर ऊर्जा से मुफ्त बिजली मिल रही है। आयुष्मान भारत योजना से 50 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त इलाज का लाभ मिला है। जन-धन योजना के माध्यम से अब तक 52 करोड़ से अधिक खाते खुले हैं, जिससे वित्तीय समावेशन को वैश्विक स्तर पर मिसाल माना जा रहा है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना ने 80 करोड़ से अधिक नागरिकों को मुफ्त अनाज उपलब्ध कराया जा रहा है। आवास योजना में अब तक चार करोड़ से ज्यादा घरों का निर्माण हो चुका है। स्वच्छ भारत मिशन ने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में जीवनस्तर को सुधारा है और कौशल विकास योजनाओं ने युवाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर दिया है। वृद्धावस्था पेंशन और अंत्योदय अन्न योजना जैसे कार्यक्रमों ने कमजोर तबकों को सुरक्षा कवच दिया है।
विदेशी निवेश के क्षेत्र में भी भारत का प्रदर्शन उल्लेखनीय दिखता है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत में रिकॉर्ड 81 बिलियन डॉलर का एफडीआई आया, जो अब तक का सर्वाधिक है। यह निवेश सेवा, मैन्युफैक्चरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में हुआ, जिससे लाखों नए रोजगार बने। ‘मेक इन इंडिया’ और ‘पीएलआई’ योजनाओं ने एपल, फॉक्सकॉन, सेमसंग और माइक्रोन जैसी वैश्विक कंपनियों को भारत में उत्पादन इकाइयाँ स्थापित करने के लिए प्रेरित किया। भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम अब विश्व का तीसरा सबसे बड़ा बन चुका है, जहाँ सौ से अधिक यूनिकॉर्न्स सक्रिय हैं जोकि नवाचार के नए द्वार खोल रहे हैं।
इसी तरह आज कृषि, सेवा और औद्योगिक क्षेत्र तीनों ही मोर्चों पर संतुलित प्रगति दिखाई दे रही है। कृषि में 2025 में 3.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की जा चुकी है। ड्रोन, जैविक खेती, मृदा स्वास्थ्य कार्ड और ई-नाम प्लेटफॉर्म के कारण उत्पादकता में वृद्धि और किसानों की आय में सुधार हुआ है। सेवा क्षेत्र देश की जीडीपी में 55 प्रतिशत का योगदान दे रहा है, जबकि आईटी, टेलीकॉम और वित्तीय सेवाओं में तीव्र विकास ने भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ाया है। औद्योगिक क्षेत्र में नवाचार और अनुसंधान आधारित उत्पादन को बल मिला है और हाल के महीनों में आईपीओ बाजार में जुटाई गई पूंजी ने निवेशकों के भरोसे को नई ऊंचाई दी है।
साल 2025 के भारत को लेकर आज यही कहना होगा कि अपनी परंपरा-आधुनिकता के संतुलन, लोककल्याण और निजी उद्यमिता के समन्वय तथा नवाचार-आत्मनिर्भरता की साझी शक्ति के बल पर अब दूसरों की शर्तों पर नहीं, बल्कि अपने स्वाभिमान और हितों पर खड़ा है। यह वही आत्मविश्वास है जो भारत को आने वाले दशक में एक नई वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित करता हुआ दिखता है, एक ऐसे विश्व गुरु के रूप में, जो अपने विकास की कहानी लिखने के साथ ही दुनिया को भी नई दिशा दे रहा है।
No Comment! Be the first one.