News Saga Desk
भारत सरकार ने खेती से जुड़े उपकरणों, उर्वरकों और अन्य कृषि उत्पादों पर जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) की दरों में महत्वपूर्ण कमी की है। इस निर्णय से देशभर के करोड़ों किसानों को सीधी आर्थिक राहत मिलेगी। अनुमान है कि इससे किसानों की सालाना करीब 60,000 करोड़ रुपये तक की बचत होगी। आईआईएम मुंबई के अनुसार जीएसटी में बदलाव का एक बड़ा असर जहां कंज्यूमर गुड्स और आटो सेक्टर में देखने मिलेगा वहीं इससे खेती किसानी में भी बड़ी राहत मिलेगी, इससे देश की अर्थव्यवस्था में तेजी देखने मिलेगी।
भारत सरकार का हाल ही में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों को तर्कसंगत बनाने का निर्णय देश के कृषि क्षेत्र के लिए एक बड़ा कदम साबित हुआ है। खेती से जुड़े उपकरणों, मशीनरी और उर्वरकों पर कर में कटौती से करोड़ों किसानों को सीधी आर्थिक राहत मिलेगी।
ट्रैक्टर और स्पेयर पार्ट्स पर राहत
सबसे बड़ा बदलाव ट्रैक्टर और उसके पुर्जों की टैक्सेशन में हुआ है:
• 45 हॉर्सपावर का ट्रैक्टर खरीदने वाले किसान को अब लगभग ₹47,000 की सीधी बचत होगी।
• ट्रैक्टर टायर, जिन पर पहले 18% जीएसटी लगता था, अब केवल 5% पर उपलब्ध होंगे।
• स्पेयर पार्ट्स पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है, जिससे मरम्मत और रखरखाव की लागत कम होगी।
इससे मशीनीकृत खेती किसानों के लिए सस्ती होगी और उनकी उत्पादकता में दीर्घकालिक बढ़ोतरी की उम्मीद है।
सस्ते हुए कृषि उपकरण
यह सुधार सिर्फ ट्रैक्टर तक सीमित नहीं है:
• लगभग ₹2 लाख कीमत वाले रोटावेटर पर अब करीब ₹14,000 की बचत होगी।
• कृषि ड्रोन, पंपिंग सेट और हार्वेस्टर जैसे आधुनिक उपकरण भी पहले की तुलना में सस्ते हो जाएंगे।
इससे किसानों को न केवल वित्तीय राहत मिलेगी बल्कि उन्हें नई तकनीक अपनाने का प्रोत्साहन भी मिलेगा, जो उत्पादन और दक्षता दोनों को बढ़ाएगा।
उर्वरक और बायो-इनपुट्स पर कम कर
सूक्ष्म पोषक तत्वों और बायो-फर्टिलाइज़र पर जीएसटी कम करना एक और बड़ा कदम है। इससे खेती की लगातार आने वाली लागत घटेगी और किसान प्राकृतिक व जैविक खेती की ओर बढ़ेंगे। इससे मिट्टी की सेहत बेहतर होगी और लंबे समय में पैदावार भी बढ़ेगी।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था और आय में बढ़ोतरी
इन कदमों का समग्र प्रभाव दोतरफा होगा:
1. उत्पादन लागत घटने से किसानों के लाभांश में सुधार होगा।
2. सस्ते और आधुनिक उपकरणों तक पहुंच से तकनीक का उपयोग बढ़ेगा।
अप्रत्यक्ष रूप से यह सुधार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा, रोजगार बढ़ाएगा और देश की विकास यात्रा में गति लाएगा।
जीएसटी सुधारों का व्यापक परिप्रेक्ष्य
यह सुधार सिर्फ कृषि तक सीमित नहीं है। 22 सितंबर 2025 से भारत 5% और 18% की दो-स्तरीय जीएसटी संरचना लागू हो गयी है , जबकि “लक्जरी वस्तुओं” पर 40% दर बनी रहेगी। इसका उद्देश्य टैक्स प्रणाली को सरल बनाना, अनुपालन लागत घटाना और कारोबार करने की सुविधा बढ़ाना है।
भारत की अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था औपनिवेशिक काल के उत्पाद शुल्क से शुरू होकर वैट और 2017 में जीएसटी तक पहुंची। प्रारंभिक चुनौतियों के बावजूद जीएसटी ने एकीकृत, डिजिटल-प्रथम कर ढांचा दिया। ताज़ा सुधार उसी यात्रा का अगला चरण है—जो कर प्रणाली को और सरल, न्यायसंगत और प्रभावी बनाएगा।
हालांकि सरकार को अल्पावधि में करीब ₹48,000 करोड़ का राजस्व नुकसान होगा, लेकिन करदाताओं की संख्या और खपत बढ़ने से इसकी भरपाई की उम्मीद है। जीएसटी संग्रह पहले ही 2017-18 के ₹82,000 करोड़ से बढ़कर 2025 में ₹2.04 लाख करोड़ से ऊपर पहुंच चुका है।
आंकड़ों से आगे का सुधार
जीएसटी में यह बड़ा बदलाव केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है; यह प्राथमिकताओं का भी संकेत है। खेती के उपकरणों, उर्वरकों और जीवनरक्षक दवाओं जैसी आवश्यक वस्तुएं सस्ती करके सरकार ने स्पष्ट संदेश दिया है कि कर प्रणाली समावेशी विकास की दिशा में काम करेगी।
भारत के किसान, जो अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, उनके लिए यह सुधार वास्तविक और ठोस लाभ लेकर आया है। कम लागत, बेहतर तकनीक और बढ़ी हुई आय से न केवल उनकी आजीविका सुधरेगी बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।
खेती से जुड़े उपकरणों और इनपुट्स पर जीएसटी दरों में कटौती किसानों के पक्ष में निर्णायक सुधार है। सालाना ₹60,000 करोड़ तक की संभावित बचत सिर्फ आर्थिक राहत नहीं है; यह आधुनिकीकरण, जैविक खेती को बढ़ावा और ग्रामीण समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करती है। व्यापक जीएसटी सरलीकरण के साथ मिलकर यह कदम “वन नेशन, वन टैक्स” की दिशा में एक बड़ी छलांग है- जहां कर प्रणाली नागरिकों और किसानों को केंद्र में रखकर भारत की विकास गाथा लिखेगी।
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