चौथी बार बढ़ाया सिटी बसों के टेंडर भरने का समय

News Saga Desk

रांची। रांची को राजधानी बने ढ़ाई दशक हो गए। इसके बावजूद आज तक शहरी परिवहन में किसी तरह का सुधार नहीं हुआ। डेढ़ दशक पहले चलाई गई सिटी बसें भी अब दम तोड़ रही हैं। इस बीच नई सिटी बसें चलाने की योजना भी धरातल पर उतरने के बजाय फाइलों में घूम रही हैं। क्योंकि, शहर में प्रस्तावित 244 सिटी बसों के लिए निगम को ऑपरेटर नहीं मिल रहा है।

कभी ऑपरेटर के नहीं आने तो कभी ऑपरेशन व मेंटनेंस की शर्त में बदलाव की वजह से टेंडर की तिथि बढ़ती जा रही है। निगम ने एक बार फिर सिटी बस के ऑपरेटर चयन के लिए टेंडर भरने का समय बढ़ा दिया है। अब 27 फरवरी तक टेंडर डाला जा सकता है। इसका टे​क्निकल बिड 28 फरवरी को खुलेगा। पहले टेंडर डालने की तिथि 13 फरवरी तय थी और टे​क्निकल बिड खोलने की तिथि 14 फरवरी थी।

मालूम हो कि शहर में 5 एसी इलेक्ट्रिक बसें, 19 लो फ्लोर एसी बसें और 220 सामान्य सिटी बसें खरीदने के लिए पिछले दो वर्षों से टेंडर निकाला जा रहा है। पिछले छह माह में ही तीन बार टेंडर डालने की तिथि बदली जा चुकी है। पिछले वर्ष झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले भी टेंडर निकाला गया था। लेकिन किसी कंपनी के नहीं आने से टेंडर रद्द करके दुबारा टेंडर निकाला गया था। अब बार-बार इसमें संशोधन कर तिथि बढ़ाई जा रही है। ऐसे में शहर में सिटी बस का सफर करने के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा।

टेंडर के मॉडल पर भी बस ऑपरेटरों में संशय

सिटी बस चलाने के लिए नगर निगम ने ऑपरेशन, मेंटेनेंस और ट्रांसफर मॉडल अपनाया है। इसके तहत नगर निगम एक भी बस की खरीदारी नहीं करेगा। चयनित ऑपरेटर को ही बस खरीदकर उसका ऑपरेशन करना होगा। इसके एवज में ऑपरेटर को प्रति किलोमीटर की दर से पैसे दिए जाएंगे। चयनित कंपनी के साथ 10 वर्षों का कांट्रेक्ट होगा। इसके बाद सभी बसें निगम को ट्रांसफर हो जाएंगी। इस तरह की शर्त को देख कर बड़े ऑपरेटर पीछे हट रहे हैं। क्योंकि, 244 बसों की खरीदारी पर ऑपरेटर को 150 करोड़ से अधिक का निवेश करना होगा।

इन दो वजहों से बार-बार बढ़ रहा टेंडर का समय

1. पूंजी लगाने में असमर्थता: निगम में पिछले वर्ष हुई प्री बिड मीटिंग में आई सात कंपनियों के प्रतिनिधियों ने एक साथ इतनी बसें खरीदने में पूंजी लगाने में असमर्थता जताई थी। कुछ कंपनियों ने ज्वाइंट वेंचर में टेंडर डालने की अनुमति मांगी थी। यह प्रस्ताव नगर विकास विभाग को भेजा गया था, इस वजह से टेंडर की तिथि बढ़ा दी गई थी। यह मामला भी विभाग के पास पेंडिंग है। स्वीकृति मिलने के बाद नियम में बदलाव किया जाएगा।

2. संशोधन की स्वीकृति नहीं : पहले निकाले गए टेंडर में बैंक के लोन से संबंधित ऐसा प्रावधान था, जिसमें ऑपरेटर लोन देने में डिफॉल्टर होता है तो बैंक बसें जब्त नहीं कर सकेगा। लेकिन इस शर्त के कारण बैंक लोन देने के लिए तैयार नहीं हुए। इसके बाद प्री-बिड में कंपनियों के प्रतिनिधियों ने नियम में संशोधन करने की मांग रखी। अब संशोधन प्रस्ताव नगर विकास विभाग के पास भेजा है, लेकिन स्वीकृति नहीं मिली है। इसलिए टेंडर की तिथि बढ़ाई गई है।


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